स्मृति शेष
पंचतत्व में विलीन हुए श्री श्रवण कुमार धीमान जी
अत्यंत दुःखद अश्रुपूरित नम आंखों से धीमान ब्राह्मण के योद्धा को आज अंतिम संस्कार कर विदाई दी गयी। उनकी अंतिम यात्रा में स्थानीय लोगों के साथ साथ धीमान ब्राह्मण दूर सुदूर क्षेत्रों से उनको अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि देने पहुँचे। सबकी आंखे नम थी। ज्ञातव्य हो कल शाम उनका देहांत दिल्ली स्थित नार्थ रेलवे अस्पताल में हो गया था। परिवारजन उन्हें रात करीब 2 बजे ज्वालापुर स्थित आवास पर लेकर पहुचे। आज सुबह 26 अगस्त 2023 को कनखल स्थित श्मशान घाट पर उनके बड़े पुत्र मनोज धीमान ने नम आंखों से मुखाग्नि दी। छोटे पुत्र कपिल धीमान का रो रो कर बुरा हाल था। सभी लोग कपिल धीमान को ढांढस बढाते रहे।। श्री श्रवण कुमार धीमान जी के दो पुत्र और एक बेटी सब विवाहित हैं।
विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका के पूर्णतया समर्पित योद्धा रहे-
भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा के संस्थापक सदस्य और विश्वकर्मा वैदिक के मुख्य संरक्षकों में से एक थे आदरणीय श्री श्रवण कुमार धीमान जी। श्रवणकुमार धीमान जी विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका के लिए पूर्णतया समर्पित योद्धा रहे। रात दिन वह पत्रिका के लिए तन मन धन से समर्पित रहते थे। हरिद्वार में आगन्तुकों के स्वागत में सदैव तत्पर रहते थे। अपने निजी कार्यों को उन्होंने कभी सामाजिक कार्यों में आड़े नही आने दिया।
विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका के प्रचार प्रसार में दिन रात हमेशा लगे रहे। अपने सेवानिवृत्त होने से पहले ही मुझसे उन्होंने कहा था कि (केदार जी मुझे सेवानिवृत्त हो जाने दो उसके बाद में सदैव आपके साथ ही रहूंगा) यह अपना वादा उन्होंने आखरी सांस तक निभाया भी। विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका के प्रकाशन से लेकर प्रसार तक साथ रहते थे। जिस भी काम को उनको कहा उसे बड़ी लगनशीलता से करते थे। यह गुण बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलता है।
अकस्मात निधन की दुखदाई सूचना से धीमान समाज में शोक की लहर
कल दिनांक 25 अगस्त 2023 को जैसे ही आदरणीय श्री श्रवणकुमार धीमान जी के निधन की सूचना महा सभा के कोषाध्यक्ष श्री ओम कैलाश धीमान जी से प्राप्त हुई मेँ स्तब्ध रह गया। उसके बाद तो जैसे फोनों के आने का सिलसिला शुरू हुआ कि घण्टों देर रात चलता रहा। नई दिल्ली स्थित नॉर्थ रेलवे हॉस्पिटल में वह करीब 8 दिन एडमिट रहे। उससे पहले हरिद्वार में ही मेट्रो हॉस्पिटल में उनका इलाज चला। जहां हम लोग महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुंदरलाल धीमान जी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री ओम कैलाश धीमान जी, संरक्षक श्री मामचंद धीमान जी, प्रदेश अध्यक्ष उत्तराखंड श्री अरुण धीमान जी, इं ऋषिपाल धीमान जी और स्वयं मैं उनको देखने मेट्रो हस्पताल पहुँचे। किन्तु हमारा दुर्भाग्य रहा कि उनको मात्र दो लोग ही मिलने दिया। श्री श्रवण कुमार जी पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा के लिए यह दुखद घड़ी है। अभी हाल ही में 6 अगस्त 2023 को महासभा द्वारा ब्रह्मर्षि अंगिरा धीमान ब्राह्मण घाट का नामकरण किया गया उसमे भी अस्वस्थ होने के कारण वह सम्मिलित नही हो सके थे। जिसकी सभी सदस्यों को उनकर उपस्थित न रहने की कमी दिखी थी। ठीक 9 दिन बाद 15 अगस्त 2023 को घाट पर प्रथम ध्वजारोहण का कार्यक्रम रखा गया किन्तु श्री श्रवण कुमार जी दो दिन पहले ही हस्पताल में एडमिट हो चुके थे।
ब्रह्मर्षि अंगिरा धीमान ब्राह्मण घाट में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
कोट द्वार महासभा के कार्यक्रम में मेरे दाएं ओर बैठे श्री श्रवणकुमार धीमान जी
घाट के लिए श्री श्रवण कुमार जी मेरे साथ कदम से कदम मिलकर चले और हम दोनों ने जनवरी 2021 में जब हरिद्वार में महाकुम्भ था तब से ही सरकारी ऑफिसों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे। जो दो साल तक अनवरत चलते रहे। घाट के लिए ही तत्कालीन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत से मिलने देहरादून भी गए थे। जिसमें महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुंदरलाल जी, उपाध्यक्ष श्री उमेश धीमान जी, कोषाध्यक्ष श्री ओमकैलास धीमान जी, श्री श्रवणकुमार धीमान जी, केदारनाथ धीमान आदि देहरादून पहुंचे थे।
सामाजिक जीवन
श्री श्रवण कुमार जी पहले सन 1990 के आसपास रेलवे में कार्यरत होते हुए भी जगद्गुरु विश्वकर्मा ब्राह्मण सभा के महामंत्री भी रहे। विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका से भी वह 2013 से ही जुड़ गए थे। हरिद्वार में आने वाले आगन्तुक मेहमानों के स्वागत में सदैव तत्पर रहते थे। भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा को खड़ी करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। संविधान निर्माण में भी लगनशील रहे और महासभा के संस्थापक सदस्यों में एक रहे। अनेक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर उन्होंने भाग लिया। ऐतिहासिक खतौली अधिवेशन में महासभा के गठन 2 अक्टूबर 2020 को विधिवत हो गया। हालांकि श्री श्रवण कुमार जी उग्र स्वभाव के कारण कई बार शीघ्र उत्तेजित भी हो जाया करते थे किन्तु जल्दी ही सामान्य अवस्था मे आजाते थे और अपनी गलती भी मान लेने नही चूकते थे यही उनकी विशेषता भी थी। तब मुझे आगे आकर उनको संभालना पड़ता था। क्योंकि मेरी बात उन्होंने कभी नही टाली। जैसे कि उनका मुझ पर अति स्नेह हो और यह सत्य भी है। उनका मुझ पर परम् स्नेह प्यार था ही। 😢😢😢😢😢
परम् पिता परमात्मा विश्वकर्मा जी से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को नवजीवन प्रदान कर उनकी आत्मा को सदगति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति शांति शांति।🥲🥲
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि सहित
-केदारनाथ धीमान
सम्पादक/प्रकाशक
विश्वकर्मा वैदिक पत्रिका
संस्थापक सदस्य
भारतीय धीमान ब्राह्मण महासभा (पंजी०) भारत
9411538663, 9536538663
मेल
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